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Shiv chalisa lyrics in gujarati pdf - An Overview

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भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे https://shivchalisas.com

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